क्या आप सप्ताहांत प्लान कर रहे हैं? जालोर के ये पर्यटन स्थल आपको इतिहास और प्रकृति की सैर करा देंगे
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जालोर पिकनिक स्पॉट: जालोर की अरावली पहाड़ियों में बसे घाट और पर्यटन स्थल का इतिहास, आस्था और प्राकृतिक प्रकृति का अद्भुत संगम पेश करते हैं। यहां के हरियाली से जुड़े इलाके और प्राचीन किले, मंदिर और दर्शनीय स्थल को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए ये जगह आदर्श हैं। जालोर की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य का मिश्रण राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो हर यात्रा प्रेमी के आकर्षण का केंद्र है।
जालोर किला आज अरावली की मुख्य भूमि पर स्थित है, जो जिले की ऐतिहासिक पहचान के साथ-साथ धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन रहा है। किले के प्राचीन किले, आसपास के किले के पहाड़ और ऊपर से देखने वाला मनोरम दृश्य यहां देखने वाले को आकर्षित करता है। किले के परिसर और आसपास ऐसे कई सीमांत स्थल मौजूद हैं, जहां एक ओर ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए किले हैं, तो दूसरी ओर पर्यटक प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव करते हैं। इसका कारण यह है कि जालोर किले और इसके आसपास के क्षेत्रों में सैलानियों की दुकानें बनी हुई हैं।

तोपखाना अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ आज एक प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों के रूप में पहचान बनाई गई है। ऐतिहासिक शास्त्र के अनुसार इस स्थान पर प्रारंभ में एक संस्कृत पाठशाला के रूप में विकसित किया गया था, जहाँ विद्या अध्ययन का कार्य होता था। बाद के काल में यहां तोपें की स्थापना की गई, इस कारण इसे तोपखाना के नाम से जाना जाने लगा। बताया जाता है कि इस संरचना का निर्माण सातवीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा किया गया था। वर्तमान में यहां आने वाले पर्यटक स्थल प्राचीन तोपों, किले के भव्य किले और पहाड़ों से दिखने वाले शहर के मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हैं। परिवार और युवा वर्ग यहां प्रामाणिक, इतिहास को करीब से महसूस करते हैं और खुले वातावरण में समय का खुलासा करते हैं।

जालोर का प्रसिद्ध कैलाशधाम धार्मिक आस्था एवं प्राकृतिक सौंदर्य का प्रमुख केंद्र है। बिशनगढ़ के नाकोड़ा रोड पर बने इस कैलाशधाम में 72 फीट ऊंची विशाल शिव प्रतिमा दूर से ही आश्रम को आकर्षित करती है। हरियाली से आते हैं इस रिसॉर्ट में सावन, मनाली और सप्ताहांत पर देश-विदेश से वाले बंगले और स्टूडियो से गुलजार रहता है। शिव प्रतिमा के नीचे बनी गुफाओं में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं, जो इसे और खाक बनाते हैं। परिसर में नंदी और मठ के बीच मार्ग बने शिष्यों को शांति और परमात्मा का अनुभव मिलता है। यहां हर मौसम में आने वाले लोग दर्शन के साथ-साथ प्राकृतिक वातावरण का आनंद भी लेते हैं।
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अरावली का माता शिखर मंदिर सुंदा जालोर में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर माता सुंदा के अद्भुत दर्शन के लिए भक्तों को दूर-दूर से आकर्षित करता है। मंदिर का परिसर और हरियाली से घिरा हुआ है, जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। चारों ओर फैले हुए मनमोहक दृश्य और पहाड़ी समुद्र तटों को चौतरफा यहां रहने और एनीमेशन का आनंद लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। दूर-दूर से आने वाले किले और पर्यटक स्थल में मंदिर और धार्मिक यात्रा दोनों का आनंद लिया जाता है। यहां के डिफ्यूज़ के मौसम में हरियाली और ठंडा मौसम इसे और भी आकर्षक बना देता है। सप्ताहांत और त्योहारों पर मंदिरों के पास भव्य मेलों और धार्मिक आयोजनों का आयोजन भी होता है, जो कि उथल-पुथल का अनुभव और समृद्ध कर देता है।

प्रकृति प्रेमियों के लिए सुंधा माता वाइल्डलाइफ सेंचुरी किसी भी आकर्षण से कम नहीं है। यह सेंचुरी पर्वत, जंगल और पर्वतीय तटों का प्राकृतिक आवास है, जिसमें कई दुर्लभ वन्यजीवों के जीव पाए जाते हैं। यहां सलामत आने वाले लोग ट्रैकिंग, पक्षी दर्शन और प्राकृतिक वातावरण का अनुभव करते हैं। जंगल के अंदर बने सुरक्षित मार्ग और झरनों के किनारे बने पथ इसे परिवार और युवा आईएसओ के लिए आदर्श ब्लॉक हैं। शहरी जीवन की भाग दौड़ से दूर यह स्थान लोगों को सार्वभौम और शांति प्रदान करता है। फैक्ट्री और समुद्र के मौसम में हरियाली और ठंडा मौसम सेंचुरी के आकर्षण और वृद्धि देता है। यहां फोटोग्राफर के शौकीन भी कई घंटे के प्राकृतिक दृश्य और प्रेमी जीवन का आनंद लेते हैं। पर्यटक अक्सर यहां लंबी पैदल यात्रा और जंगल सफारी का अनुभव भी करते हैं।

जालोर के ऐतिहासिक जहाज मंदिर की अनोखी संरचना और धार्मिक महत्व के कारण पहचाने जाने योग्य हैं। यह मंदिर मंदिर गांव में स्थित है और पूरी तरह से संगमरमर से तराशा गया है, जिसमें पहाड़ को नाव के आकार में बनाया गया है। इसी विशेष स्थापना के कारण इसे “जहाज मंदिर” कहा जाता है। मंदिर की स्थापना 1993 में जैन धर्म के लिए की गई थी और 9 मई 1993 को इसका विमोचन किया गया। जहाज मंदिर जैन मठ के साथ-साथ इतिहास, स्थापत्य और वास्तुकला में रुचि वाले संग्रहालय को भी चित्रित किया गया है। शांत पर्यावरण और प्राकृतिक पर्यावरण यह एक आदर्श पर्यटन स्थल और पर्यटक स्थल हैं। यहां केवल दर्शन के लिए ही भ्रमण नहीं किया जा सकता, बल्कि मंदिरों के अद्भुत मकबरे और नाव जैसी इमारतें बनाई गई हैं जिन्हें करीब से देखने के लिए भी लंबे समय तक देखा जा सकता है।














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