jharkhand adivasi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। चुनाव आयोग ने हाल ही में रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और देवघर के पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडुंग को हटाने के आदेश दिए हैं, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी असहमति जताई है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सीधे तौर पर सवाल किया कि आखिर भाजपा को दलित और आदिवासी अधिकारियों से इतनी परेशानी क्यों है।
jharkhand adivasi: दलित और आदिवासी अधिकारियों के तबादले का मामला
इस पूरे मामले की शुरुआत रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के तबादले से हुई थी, जो एक दलित अधिकारी हैं। चुनाव आयोग द्वारा दलित अधिकारी मंजूनाथ को हटाने के फैसले पर मुख्यमंत्री ने सवाल खड़ा किया था। इसके बाद देवघर के पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडुंग, जो आदिवासी समुदाय से आते हैं, को भी हटाने का आदेश दिया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और चुनाव आयोग, दलित और आदिवासी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले दलित आईएएस अधिकारी को हटाया गया और अब एक आदिवासी आईपीएस अधिकारी को निशाना बनाया जा रहा है।
चुनाव आयोग का आदेश और भाजपा पर मुख्यमंत्री का हमला
jharkhand adivasi: चुनाव आयोग ने 24 अक्टूबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि देवघर के एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। आयोग ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि देवघर एसपी के पद पर नियुक्ति के लिए तीन नए अधिकारियों का पैनल भेजा जाए। अजीत पीटर डुंगडुंग के तबादले का यह आदेश मंगलवार को जारी किया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि आखिर भाजपा को दलितों और आदिवासियों से इतनी समस्या क्यों है?
jharkhand adivasi: लोकसभा चुनाव में भी डुंगडुंग पर लगे थे आरोप
यह पहली बार नहीं है जब अजीत पीटर डुंगडुंग पर किसी प्रकार का आरोप लगा है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन पर एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में कार्य करने का आरोप लगाया गया था। चुनाव आयोग के निर्देश पर उस वक्त भी उन्हें चुनावी कार्यों से हटाया गया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद राज्य सरकार ने फिर से उन्हें देवघर के एसपी के पद पर बहाल कर दिया था। इस बार, उनके तबादले का आदेश चुनाव आयोग ने पुनः जारी किया है, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा की साजिश करार दिया है।
मुख्यमंत्री ने शिव मंदिर में लिया आशीर्वाद और दी प्रतिक्रिया
jharkhand adivasi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद रांची स्थित शक्ति पुंज आश्रम का दौरा किया, जहां उन्होंने ब्रह्मलीन हरिंद्रानंद से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान शिव की महिमा का जिक्र करते हुए कहा कि शिव की महिमा अपरंपार है और सभी की मनोकामना पूर्ण करने की उनकी कृपा रहेगी। उनके साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी थीं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने indirectly संकेत दिया कि उनका शिव से आशीर्वाद लेना एक सकारात्मक कदम है और उन्होंने भगवान शिव से राज्य में न्याय और शांति की कामना की।
jharkhand adivasi: चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता के पालन पर जोर
राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने राजनीतिक दलों से आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने की अपील की है। धुर्वा स्थित निर्वाचन सदन में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि सभी दल अपने कार्यकर्ताओं को आचार संहिता के नियमों के बारे में अवगत कराएं और उनका अनुपालन कराएं। चुनाव आयोग ने सभी दलों को निर्देश दिया है कि आदर्श आचार संहिता के पालन में किसी भी प्रकार की ढील न दी जाए।
मतदाता पहचान के लिए अन्य विकल्पों की घोषणा
jharkhand adivasi: राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाताओं के लिए 12 अतिरिक्त पहचान पत्रों की सुविधा उपलब्ध होगी, जिनके माध्यम से मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। इन पहचान पत्रों में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो युक्त पेंशन दस्तावेज, और सरकारी कर्मचारियों को जारी सेवा पहचान पत्र जैसे दस्तावेज शामिल हैं। यह सुविधा उन मतदाताओं के लिए लाभप्रद साबित होगी जिनके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है, और इससे चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना भी है।
jharkhand adivasi: बढ़ती राजनीति और आने वाले चुनाव पर प्रभाव
jharkhand adivasi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दलित और आदिवासी अधिकारियों के तबादले पर उठाए गए सवाल ने चुनावी राजनीति को गर्म कर दिया है। यह मुद्दा झारखंड के मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है और इससे भाजपा तथा झामुमो के बीच मतभेद और तीखे हो सकते हैं। हेमंत सोरेन के आरोपों ने दलित और आदिवासी मतदाताओं के बीच भाजपा के प्रति असंतोष बढ़ा सकता है, जबकि भाजपा ने चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन करते हुए इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।
आने वाले दिनों में इस मामले पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और सरकार का रुख महत्वपूर्ण साबित होगा। चुनाव आयोग के निर्देशों और राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए झारखंड विधानसभा चुनावों का यह मुद्दा सियासी गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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