pandit raghunath murmu : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महान संताली साहित्यकार और ओलचिकी लिपि के जन्मदाता पंडित रघुनाथ मुर्मू जी की 119वीं जयंती पर दाँडबोस-कापीबुरु मयूरभंज, ओडिशा स्थित स्मारक पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। संताली साहित्यकार पंडित रघुनाथ मुर्मू जी की प्रतिमा एवं तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
pandit raghunath murmu : समाज के लोगों ने बारी- बारी से पारंपरिक विधि – विधान के तहत पूजा – अर्चना कर उनके चित्र पर श्रद्वा सुमन अर्पित किया। साथ ही उनके अधूरे सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। मौके पर आदिवासी हो समाज महासभा के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय ने कहा कि आदिवासी समाज को नई दिशा देने का काम पंडित रघुनाथ मुर्मू ने किया।
pandit raghunath murmu : संथाली भाषा एवं संथाली समाज तथा सांथाली साहित्य के प्रति पंडित रघुनाथ मुर्मू का अवदान सर्वविदित है। सांथाली लिपि एक वैज्ञानिक आधारित लिपि की मान्यता पा चुकी है। पंडित रघुनाथ मुर्मू ने ओलचिकी लिपि का आविष्कार वर्ष 1925 में किया था। उनका जन्म 5 मई 1905 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिला स्थित डाहरडीह डाड़बुस ग्राम में हुआ था। उनका सपना था कि भारत के हर स्कूल- कॉलेज में देश संताली भाषा पढ़ाई जाए। संताली भाषा को भी अन्य भाषा के साथ उचित स्थान व मान-सम्मान मिले। उन्होने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संथाल समुदाय को एक सूत्र में बांधने का काम किया। समाज के बुराईयों को खत्म करने का किया। युवाओं को अपने भाषा एवं संस्कृति के प्रति जागरूक होने की बात कही। इस दौरान मुख्य रूप से हो समाज महासभा के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय, प्रखंड अध्यक्ष रामलाल हेम्ब्रम, सिदेश्वर कुदादा, सुकांती होनहागा, चांदमुनी बोदरा, बेलमती होनहागा, रागु हांसदा, विरेन्द्र सोय, मोनिका सोय, अमर सिंह हांसदा, मालती बोदरा, अर्जुन सोय, चमरू सोय, सरस्वती होनहागा, लक्ष्मी हांसदा, सुखमति हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे।
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