Babulal Marandi’s allegation Chief Minister not allow media to work :
झाऱखंड में सत्ता की कमान मीडिया फ्रेंडली वाले हेमंत सोरेन के हाथों, तभी तो आमलोगों को मिल पा रही सभी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी.
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी का यह आरोप बेबुनियाद कि मीडिया को काम नहीं करने देते मुख्यमंत्री.
- सिद्धांत विहीन और राजनीति के हाशिए पर जा चुके पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल.
- मीडिया के समक्ष आकर कभी भी भाजपा नेता ने अपने करीबियों द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचार पर बयान नहीं दिया.
- झारखंड की किसी सरकार ने पहली बार मीडिया को दिया स्वास्थ्य बीमा का लाभ, भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने तो केवल लालच दिया.
- मीडिया के समक्ष खुलकर सरकार की योजनाओं का जानकारी दे रहे हेमंत सोरेन, ताकि आम लोग ले पाएं इसका लाभ.
- हेमंत सोरेन की सोच यही कि मीडिया के कामों में वे या उनके किसी भी सांसद, विधायक और कार्यकर्ताओं का हस्तक्षेप न रहे.
Ranchi : हसमुख, बिना किसी तनाव के हर वक्त सवा तीन करोड़ से अधिक लोगों के लिए काम करना, मीडिया से हर वक्त रूबरू रहना, ऐसे व्यक्तित्व वाले नेता हेमंत सोरेन के व्यवहार से शायद ही कोई परिचित नहीं होगा. बात चाहे मुख्यमंत्री आवास आने वाले जरूरतमंदों की करें या प्रोजेक्ट भवन परिसर आने वालों की, सभी से मुलाकात कर उनकी परेशानियों को हेमंत सोरेन काफी गंभीरता से सुनते हैं. उसके बाद वे खुद मीडिया से इस बात को साझा करते हैं कि जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने का निर्देश उन्होंने अधिकारियों को दिया है. कुल मिलाकर मीडिया फ्रेंडली वाले हेमंत सोरेन की सोच यही रहती है कि मीडिया के कामों में उनका या उनके किसी भी सांसद, विधायक और कार्यकर्ताओं का हस्तक्षेप नहीं रहे. सरकार के कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मीडिया के मार्फत सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके. सरकार के करीब तीन साल के कार्यकाल में ऐसा ही देखा गया है. लेकिन शायद पूर्व मुख्यमंत्री व खुद को घोषित कर चुके भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को शायद यह नहीं दिखता है. मीडिया में मुख्यमंत्री के बढ़ती लोकप्रियता का ही असर है कि आज भाजपा नेता अनर्गल आरोप लगा रहे हैं कि हेमंत सोरेन मीडिया को काम नहीं करने देते.
मीडिया के समक्ष भाजपा नेता का ध्यान केवल हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने पर ही.
सिद्धांत विहीन और राजनीति के हाशिए पर जा चुके पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जब भी मीडिया से रूबरू होते हैं, तो उनका ध्यान केवल हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने पर होता है. मीडिया को वे अपने अनर्गल आरोप लगाने का एक माध्यम सा बना चुके हैं. लेकिन उन्होंने कभी भी आदिवासियों महिलाओं के साथ अपने सहयोगियों द्वारा किए गए अनैतिक कामों को लेकर बयान नहीं दिया.
करीबियों ने आदिवासी लड़की के साथ क्या किया, कभी भी मीडिया को बयान नहीं, हेमंत हमेशा देते रहे हैं बयान
बात चाहे बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार रहे सुनील तिवारी पर लगे गंभीर आरोप की करें, या भाजपा नेता सीमा पात्रा पर लगे आरोप की, कभी भी उन्होंने मीडिया के समक्ष आकर खुद बयान नहीं दिया. सुनील तिवारी पर उनके यहां घरेलू सहायिका (मेड) का काम करने वाले एक नाबालिग आदिवासी ने आरोप लगाया था कि वे उसके साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ करते थे. इसी तरह सीमा पात्रा पर आदिवासी महिला के साथ शारीरिक व मानसिक पीड़ा देने का आरोप लगाया. दोनों ही गंभीर आरोपों को लेकर रांची के अरगोड़ा थाना में शिकायत भी दर्ज करायी गयी. लेकिन बाबूलाल मरांडी ने दोनों ही मामलों में मीडिया के समक्ष चुप्पी साधे रखा. वहीं हेमंत सोरेन ने अपने ऊपर लगाए भाजपा नेताओं के आरोपों को लेकर कहा, कानून और अदालत सबसे ऊपर होता है. उन्हें संविधान और देश के लोकतंत्र पर हमेशा से भरोसा रहा है.
हेमंत ने मीडिया को बताया कि उनके कार्यकर्ता जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे योजनाओं की जानकारी.
हेमंत सोरेन मीडिया फ्रेंडली कितने हैं, इसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि सरकार की हर कल्याणकारी योजनाओं की वे जानकारी स्वंय या अपने अधीन संस्थाओं के माध्यम से देते रहे हैं. जैसे – सरकार आपके अधिकार-आपकी सरकार-आपके द्वार को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पार्टी झामुमो के हर कार्यकर्ताओं को सभी जरूरतमंदों तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का उन्होंने टास्क दिया है. इसी तरह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से योजनाओं की जानकारी दी जाती है.
पहली बार झारखंड की कोई सरकार मीडिया प्रतिनिधियों का कराएगी स्वास्थ्य बीमा.
मीडिया फ्रेंडली होने की पुष्टि इससे भी होती है कि पहली बार सुनियोजित तरीके से झारखंड में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों का कोई सरकार स्वास्थ्य बीमा कराएगी. झारखंड राज्य पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना नियमावली-2021 का गठन हो चुका है. इसमें व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पांच लाख रुपए का होगा. साथ ही उनके आश्रितों व सभी बीमितों को ग्रुप मेडिक्लेम के रूप में भी कुल पांच लाख रुपए तक के चिकित्सा खर्च की सुविधा प्रदान की जाएगी. यह बीमा योजना एक वर्ष के लिए मान्य होगा. हर वर्ष इसका नवीनीकरण भी होगा. वहीं पूर्व की भाजपा सरकारों ने हमेशा मीडियाकर्मियों को धोखे में ही रखने का काम किया.
जब भी किसी मीडियाकर्मी ने ट्वीटर पर परेशानी साझा की, कराया निदान.
इसी तरह जब भी कोई मीडियाकर्मी ने ट्वीटर के द्वारा अपनी परेशानी मुख्यमंत्री से साझा की है, तो तत्काल ही हेमंत सोरेन ने उसका निदान निकाला है.
Babulal Marandi’s allegation Chief Minister not allow media to work :