कृषि विधेयक
Share This Post

फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के बैनर तले बुधवार को मोरहाबादी में हुए राज्यस्तरीय बैठक में शामिल होने वाले सभी थोक व्यापारियों ने बुधवार को अपना कृषि व्यवसाय पूरी तरह बंद रखा। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य भर में एक दिन की बंदी से करीब 100 करोड़ के कारोबार का नुकसान हुआ है।

व्यापारियों ने एकजुट होकर कहा कि कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर सरकार की ओर से दो प्रतिशत कृषि बाजार शुल्क लगाया गया है, जो पूरी तरह से तानाशाही और अफसरशाही का रूप है। इस शुल्क के खिलाफ व्यापारियों ने पहले तो बैठक आयोजित कर राज्य सरकार से कृषि विधेयक वापस लेने को कहा है। इसके बाद सभी व्यापारियों ने बैठक स्थल संगम गार्डेन से गांधी वाटिका तक काला झंडा व बिल्ला लगाकर मार्च किया और वहीं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन किया।

इस बीच बुधवार को झारखंड के थोक खाद्यान्न व्यापारियों ने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद पंडरा, अपर बाजार पर सन्नाटा छाया रहा, किसी तरह का व्यापार नहीं हुआ। इस बीच सुबह से ही खुदरा दुकानदारों के आने का सिलसिला जारी रहा, लेकिन उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा। इस दौरान एक दिन खाद्यान्न व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहने के कारण आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

पूर्व चैंबर अध्यक्ष मनोज नरेडी ने बताया कि अगले पांच दिनों तक हर जिले में व्यापारी काले बिल्ले के साथ विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसके बाद अपने-अपने जिले में उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया जाएगा। इस बीच फल विक्रेता ओर पशुधन विक्रेता का भी समर्थन लिया जायेगा।

अगर इसके बाद भी सरकार ने कृषि शुल्क विधेयक वापस नहीं लिया तो 15 फरवरी से पूरी तरह खाद्यान्न की आयत और निर्यात बंद कर दी जाएगी। साथ ही सभी थोक व खुदरा दुकानों में ताला लटक जाएगा। इसके बाद की सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। मालूम हो कि इस बीच होटल व रेस्तरांं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इसे भी पढ़ें : झारखंड के चाईबासा में IED विस्फोट, CRPF जवान घायल

YOUTUBE

By JharExpress

JharExpress is hindi news channel of politics, education, sports, entertainment and many more. It covers live breaking news in India and World

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *