hemant soren rasan card : राशन कार्डधारियों को चना दाल के बदले चना
hemant soren ration card : झारखंड में 65 लाख परिवार को हर महीने 1 किलो चना दाल देने की योजना पर ग्रहण लग गया है। थोक बाजार में चना दाल की गिरती कीमत और टेंण्डर में उससे अधिक की दर ने खाद्य आपूर्ति विभाग की परेशानी बढ़ा दी है। अब ऐसे में विभाग चना दाल के बजाय लाभुकों को चना देने पर भी विचार कर रही है। सरकार नेफेड से सीधे चना खरीद कर लाभुकों को देने की ओर कदम बढ़ा सकती है। झारखंड में 65 लाख परिवार के चूल्हे पर हेमंत सोरेन सरकार की दाल अब नहीं गल पाएगी।
राशन कार्डधारियों को प्रति माह 1 किलो चना दाल देने का वादा
hemant soren ration card : राज्य में दाल की खरीद पर ग्रहण लगता हुआ दिख रहा है। दरअसल पिछले दो वित्तीय वर्ष से खाद्य आपूर्ति विभाग राशन कार्डधारियों को प्रति माह 1 किलो चना दाल देने का वादा कर रही है लेकिन सरकार का ये वादा आज तक अधूरा है। विभागीय मंत्री रामेश्वर उरांव खुद मान रहे हैं कि चना दाल के मामले में फंस गए हैं। थोक बाजार में इस वक्त चना दाल की कीमत 60 से 62 रुपये है, जबकि टेंडर में 70 रुपया का रेट आ रहा है, मतलब विभाग अगर चना दाल की खरीद करती है तो ये बाजार से 8 से 10 रुपया प्रति किलो अधिक होगा और सरकार ऐसा करके फंस जाएगी।
चना दाल के बदले चना देने पर विचार
चना दाल नहीं दे पाने की स्थिति में खाद्य आपूर्ति विभाग ने लाभुकों को सीधे चना देने पर विचार कर रही है। लाभुकों को चना देने को लेकर नेफेड से खरीद करने को लेकर विभागीय मंथन भी शुरू हो गई है। विभाग का मानना है कि झारखंड के लोग चना खाना पसंद करते है। चना की सब्जी से लेकर छोला तक राज्य के लोगों का पसंदीदा भोजन भी है। जन वितरण प्रणाली की दुकान पर हर माह राशन लेने आने वाले लाभुक चना दाल कब मिलेगा, ये सवाल जरूर पूछते हैं।
चना कब मिलेगा
hemant soren ration card : फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन के ज्ञानदेव झा ने बताया कि कई बार तो PDS दुकानदारों को लाभुकों के गुस्से का सामना भी करना पड़ता है। अब जबकि चना दाल की बजाय चना देने की तैयारी चल रही है तब फिर से दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है कि अब फिर नये सवाल से सामना होगा। झारखंड में आने वाले समय में किसानों से MSP दर पर अरहर दाल खरीदने की भी योजना पर काम चल रहा है। पलामू प्रमंडल में अरहर दाल की पैदावार बहुत ज्यादा है, हालांकि सरकार की सोच और सोच को धरातल पर उतारने में बहुत बड़ा फर्क दिखता है। फिलहाल चना दाल की बजाय गरीब परिवार को चना कब मिलेगा, इसी पर सबकी नजरें टिकी हैं।
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