jharkhand government jobs : झारखंड में नौकरी की तलाश करने वालों के लिए यह सुकून भरी खबर है। झारखंड सरकार नयी नियोजन नीति ला रही है। झारखंड की नियोजन नीति को महीने भर पहले ही झारखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इससे 13968 पदों के लिए होने वाली नियुक्तियों पर ब्रेक लग गया था। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। राज्य सरकार ने अब नयी नियोजन नीति लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
हाई कोर्ट ने जिस नियोजन नीति को खारिज किया है, उसमें यह प्रावधान था कि झारखंड में सरकारी नौकरी पाने के लिए उम्मीदवार को झारखंड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। इसे हाई कोर्ट ने असंवधानिक माना था। राज्य सरकार इसी के आधार पर बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति करने वाली थी। राज्य सरकार अब इसकी बाध्यता खत्म कर रही है। स्थानीय रीति रिवाज, भाषा और परिवेश की शर्तें भी सरकार शिथिल करने जा रही है। प्रस्तावित नियोजन नीति के तहत कोई भी कहीं से पढ़ाई कर झारखंड में सरकारी नौकरी पा सकता है।
तेजी से काम करने का चीफ सेक्रेट्री ने निर्देश दिया
jharkhand government jobs : चीफ सेक्रेट्री सुखदेव सिंह ने इस बाबत अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिया है कि पुरानी नियमावली के अनुरूप ही नयी नियमावली बनायें और सरकार को भेजें। नयी नियमावली में 10वीं और 12वीं पास की अनिवार्यता खत्म होगी, लेकिन बाकी शर्तें पुरानी नियोजन नीति की ही रहेंगी। जहां नयी नियुक्तियां होनी हैं, वहां तेजी से काम करने का चीफ सेक्रेट्री ने निर्देश दिया है। यानी झारखंड में जल्दी ही बड़े पैमाने पर नियुक्तियों के विज्ञापन प्रकाशित होने के आसार हैं।
हाईकोर्ट ने क्यों रद्द की थी झारखंड की नियोजन नीति ?
jharkhand government jobs : झारखंड हाई कोर्ट ने 16 दिसंबर 2022 को हेमंत सोरेन सरकार द्वारा तैयार नियोजन नीति रद्द कर दी थी। इससे 13968 पदों पर होने वाली नियुक्ति की प्रक्रिया रद्द हो गयी थी। इन पदों के लिए विज्ञापन निकाल कर आवेदन भी मंगा लिये गये थे। नियुक्तियों के लिए प्रकाशित विज्ञापन में कहा गया था कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का झारखंड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। झारखंड के निवासियों के लिए इसकी बाध्यता खत्म कर दी गयी थी। हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना और नियोजन नीति को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार के खिलाफ है। नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा की सूची से हिन्दी को हटा दिया गया था और उर्दू को शामिल कर लिया गया था। अदालत ने कहा कि ऐसा करने का कोई आधार नहीं है, इसलिए कि सभी स्कूलों में हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाई होती है। कोर्ट ने यह भी टिप्णी की थी कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है।
हेमंत सोरेन ने कहा था कि युवाओं के अनुरूप ही नयी नियोजन नीति जल्द बनेगी
हाईकोर्ट की ओर से नियोजन नीति को असंवैधानिक ठहराये जाने के बाद नियुक्तियों के विज्ञापन रद्द हो गये थे। युवाओं में इसके चलते राज्य सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश था। जुलूस, प्रदर्शन होने लगे थे। विधानसभा का घेराव भी युवाओं ने किया था। उसके बाद सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि युवाओं के अनुरूप ही नयी नियोजन नीति जल्द बनेगी। नयी नियोजन नीति पूरी तरह संवैधानिक होगी। सरकार की कोशिश अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार देने की होगी। दरअसल नियोजन नीति की विसंगतियों को लेकर रमेश हांसदा व अन्य ने अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दाखिल की थीं। याचिकाकर्ताओं ने नियोजन नियमावली को गलत बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद नियोजन नीति को रद्द कर दिया था।
इसे भी पढ़ें : सरकारी स्कूल के बच्चों को हेमंत सरकार बनाएंगे कुशल
Pingback: today's latest news, articles, live videos, hindi news - JharExpress
Pingback: कक्षा 1-7 तक की अर्द्ध वार्षिक परीक्षा 18 से 20 जनवरी के बीच होगी