jharkhand governor : राज्यपाल ने वापस किया विधानसभा से पारित बिल

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jharkhand governor : झारखंड में 1932 खतियान, OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण और मॉब लिंचिंग को लेकर सत्ताधारी दल ने राजभवन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। राज्यपाल से मिलने का समय मांगने और इसका जवाब नहीं मिलने से नाराज झारखंड राज्य समन्वय समिति के सदस्य राजभवन पहुंचे। पांच सदस्यों वाली प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन की गेट पर अपना ज्ञापन सौंपा। साथ ही आरोप लगाया कि राजभवन किसी व्यक्ति और दल के इशारे पर ऐसा किया जा रहा है। राज्य समन्वय समिति के विनोद पांडेय, राजेश ठाकुर , बंधु तिर्की, योगेंद्र प्रसाद और फागू बेसरा ज्ञापन लेकर राजभवन पहुंचे थे।

jharkhand governor : दरअसल झारखंड में राज्य सरकार और राजभवन के बीच फिर एक बार तल्खी नजर आ रही है। ये तल्खी हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा सदन से पारित 3 विधेयक को राजभवन से बगैर आपत्ति के बिंदु के साथ लौटाए जाने को लेकर है। 1932 खतियान, OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण और मॉब लिंचिंग विधेयक पर अपनी बात रखने के लिए झारखंड राज्य समन्वय समिति ने 3 सितंबर का समय राज्यपाल से मांगा था। इसके लिए विनोद पांडेय ने पत्र भी लिखा था , लेकिन ना तो समय मिला और ना ही किसी तरह की कोई जानकारी दी गई। इसी बात से नाराज समन्वय समिति के 5 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल राजभवन पहुंचा। विनोद पांडेय का आरोप था कि किसी व्यक्ति और दल के इशारे पर राजभवन ऐसा कर रही है। विधेयक को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से संवैधानिक संकट पैदा हो रही है।

jharkhand governor : राजभवन में रविवार को राज्यपाल के नहीं होने की सूचना समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल को दी गई। प्रतिनिधि मंडल ने भी विधेयक को लेकर अपनी बात से संबंधित ज्ञापन को राजभवन की गेट पर रिसीव कराया। उस ज्ञापन में विधेयक को लौटाए जाने के दौरान राजभवन के संदेश यानी की आपत्ति की बिंदुओं को नहीं भेजने का जिक्र है। समन्वय समिति के सदस्य राजेश ठाकुर और बंधु तिर्की ने अनुच्छेद 200 के अंतर्गत संदेश के साथ विधेयक को वापस करने की मांग रखी है। साथ ही राजभवन पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने ये उम्मीद जताई है कि उन्हें अवश्य राजभवन का बुलावा आएगा और उसकी बात सुनी जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसका मतलब यही होगा की राजभवन राजनीति कर रही है।

jharkhand governor : झारखंड विधानसभा से पारित ये तीनों विधेयक को अगर राजभवन आपत्तियों के बिंदु के साथ वापस करे , तो राज्य सरकार पुनः संशोधन के साथ विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेज सकती है। आवश्यकता पड़ी तो विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बात भी ज्ञापन में कहा गया है। अगर ऐसा नहीं होता है तो ये विधेयक इसी तरह लटके रहेंगे।

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