Narendra Modi letter: सोरेन ने नरेंद्र मोदी से मांग की कि आदिवासी/सरना धर्म कोड का साकारात्मक फैसला जल्दी लिया जाए:
आदिवासी समुदाय चाहता है कि उनका सरना धर्म और प्रकृति पूजा को धार्मिक अस्तित्व के रूप में मान्यता मिले।
सोरेन ने मोदी से पत्र लिखकर कहा कि आदिवासी समुदाय का जनसंख्या घट रहा है और इसके फलस्वरूप संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची में उनका विकास प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सोरेन ने कहा, ‘आदिवासी/सरना कोड के माध्यम से हम आदिवासी समुदाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।’
Narendra Modi letter: सोरेन ने प्रधानमंत्री से जल्दी कदम उठाने की आग्रह किया और आदिवासी समुदाय के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सरना या प्रकृति पूजा कोड की मांग को समझने की बिनती की।
सोरेन ने कहा, ‘मैं पूर्ण आशा और विश्वास रखता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी आदिवासी समुदाय के समेकित विकास के लिए आदिवासी/सरना धर्मकोड को बनाने के लिए उचित निर्णय लेंगे।’
देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 27, 2023
मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित… pic.twitter.com/svvzDaTq7C
क्यों है यह मांग जरूरी?
Narendra Modi letter: सोरेन ने कहा कि झारखंड के आदिवासी समुदाय की जनसंख्या में लगातार गिरावट हो रही है और इससे संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची में उनके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
वह मांग कर रहे हैं कि आदिवासी/सरना धर्म कोड को बनाया जाए ताकि उनके जनसंख्या की सटीक गिनती की जा सके और उनकी भाषा, संस्कृति, और इतिहास का संरक्षण किया जा सके।
इसके साथ ही, उनके संवैधानिक अधिकारों की भी रक्षा हो सकेगी और उन्हें समाज में समाहित किया जा सकेगा।
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