NIT Jamshedpur: 20 साल के छात्र की मौत – पूरी कहानी?

NIT Jamshedpur
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मैं आपको बताना चाहता हूँ कि NIT Jamshedpur के छात्र दिव्यांशु गांधी की मौत कैसे हुई, क्योंकि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि भारत के शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का एक दर्दनाक उदाहरण है।

क्या हुआ?

  • 17 मई 2025, शाम 6:00 बजे: दिव्यांशु गांधी (20 वर्ष), NIT Jamshedpur के कंप्यूटर साइंस के छात्र, ने ड्रीम सिटी अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल से गिरकर जान गंवाई ।
  • वह फाइनल एग्जाम देकर घर लौटा था, लेकिन फिजिक्स की परीक्षा न दे पाने के कारण तनाव में था ।
  • टाटा मेन हॉस्पिटल (TMH) में उसे मृत घोषित कर दिया गया ।

“दिव्यांशु पिछले 6 महीने से डिप्रेशन में था। उसने पहले भी छत से कूदने की कोशिश की थी।”
– परिवार का बयान

NIT Jamshedpur केस: 5 बड़े तथ्य

  1. मानसिक स्वास्थ्य का इतिहास: दिव्यांशु रांची में मनोचिकित्सक के पास इलाज करा रहा था ।
  2. परीक्षा का दबाव: वह पहले सेमेस्टर में 3 विषयों की परीक्षा नहीं दे पाया था ।
  3. पिछली कोशिश: 6 महीने पहले उसने छात्रावास की छत से कूदने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने बचा लिया ।
  4. परिवार के साथ रह रहा था: वह अपने माता-पिता के साथ कैंपस के बाहर किराए के फ्लैट में रहता था ।
  5. पुलिस जांच: CCTV फुटेज और गवाहों के बयान लिए जा रहे हैं ।

आंकड़े जो चौंकाते हैं

  • भारत में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है ।
  • IITs और NITs में 2020-24 के बीच 35+ छात्रों ने आत्महत्या की ।

NIT Jamshedpur: 5 बड़े सवाल और जवाब (FAQ)

1. क्या यह आत्महत्या थी?

पुलिस को आत्महत्या का शक है, क्योंकि दिव्यांशु पहले से डिप्रेशन में था ।

2. NIT ने क्या कार्रवाई की?

संस्थान ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन छात्रों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था कर रहा है ।

3. परिवार को कब पता चला?

घटना के बाद उसके छोटे भाई ने पुलिस को सूचना दी ।

4. क्या NIT में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं हैं?

हाँ, लेकिन छात्रों का कहना है कि ये अपर्याप्त हैं ।

5. पुलिस ने क्या कदम उठाए?

  • पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार।
  • CCTV फुटेज की जांच ।

निष्कर्ष: क्या हम छात्रों की मानसिकता को समझ पा रहे हैं?

मैं देख रहा हूँ कि NIT Jamshedpur की यह घटना सिर्फ एक छात्र की मौत नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की विफलता है। अगर हमने मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लिया, तो ऐसी घटनाएं बढ़ती रहेंगी।

“परीक्षा से ज्यादा जरूरी है एक जिंदगी।”

(अंतिम अपडेट: 18 मई 2025, रात 8:00 बजे तक की रिपोर्ट्स के अनुसार।)

क्या आपको लगता है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए? कमेंट में बताइए!

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