tribal festival of jharkhand
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tribal festival of jharkhand : कार्यक्रम में हेमंत सोरेन, आलमगीर आलम, चंपई सोरेन, बादल, जोबा, हफिजुल, सुबोधकांत हुए शामिल

रांची। दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 का शानदार समापन बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में हुआ। समापन समारोह के दौरान फिल्म निर्देशक नंदलाल नायक के मांदर की थाप ने सबको थिरकने पर मजबूर कर दिया। लोक कलाकारों का हौसला अफजाई करते हुए सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन अपने आपको रोक नहीं सकी व नंदलाल नायक के साथ मांदर बजाकर झूमीं। यह पल देखने लायक था, एक कलाकार के साथ कल्पना सोरने ने शानदार तरीके से मांदर बजाकर सबका दिल जीत लिया। वहीं, ड्रोन शो के लाइट ने सबको अचंभित किया। समापन समारोह में मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों की उपस्थिति में लोक कलाकार, संगीतकार और नंदलाल नायक की प्रस्तुति ने महफिल में समां बांध दिया। पूरे महफिल में सिर्फ व सिर्फ मांदर की थाप ही गूंजने लगी। इस महोत्सव के समापन समारोह में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम,  मंत्री चम्पाई सोरेन, मंत्री जोबा माझी, मंत्री बादल, मंत्री हफीजुल हसन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय,  मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना दादेल व मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे  समेत कई गणमान्य शामिल रहे।

सभी आदिवासी समुदायों को कनेक्ट करने का कर रहे प्रयास : सीएम

tribal festival of jharkhand : मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक आदिवासी मुख्यमंत्री हूं। आज देश की सवा सौ करोड़ की आबादी में तेरह करोड़ आदिवासी हैं। इन आदिवासियों की आईडेंटिटी बरकरार रखने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखंड आदिवासी महोत्सव- 2023 के समापन समारोह के अवसर पर उक्त बातें कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सभी आदिवासी समुदायों को कनेक्ट करने का प्रयास कर रही है। इन्हें विकास से जोड़ा जा रहा है। सरकार में ऐसे कई निर्णय लिए हैं, जिनसे आदिवासियों को एक अलग आईडेंटिटी मिल रही है।

ट्राइबल आईडेंटिटी की तलाश अभी भी जारी

सीएम ने कहा कि झारखंड राज्य की उत्पत्ति भी ट्राइबल आइडेंटिटी के साथ हुई है। लेकिन, आज भी यह अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। एकीकृत बिहार और अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कभी भी आदिवासी महोत्सव का आयोजन नहीं हुआ। लेकिन, हमारी सरकार पिछले 2 वर्षों से आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रही है। इसका मकसद आदिवासी पहचान को आगे बढ़ाना है। देश की सवा सौ की आबादी में 13 करोड़ आदिवासियों की पहचान मिटाने की साजिश चल रही है , लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। आदिवासियों की आदिकाल से अलग पहचान रही है और आगे भी बनी रहेगी।

सरना अलग धर्म कोड के लिए  संघर्ष जारी रहेगा

tribal festival of jharkhand : मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में जो आदिवासी समुदाय रहते हैं, उन्हें कुछ तो अलग पहचान मिलनी चाहिए। इतिहास में जो आदिवासियों की अलग जगह है, उसे क्यों समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर हमें गंभीर मंथन करने की जरूरत है। अगर आदिवासियों को अलग पहचान दिलाना है तो उनके लिए  कुछ तो अलग व्यवस्था होनी चाहिए।  इसी कड़ी में हमारी सरकार ने सरना अलग धर्मकोड का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। जिस तरह आदिवासी अपने वजूद के लिए लंबा संघर्ष करते रहे हैं,आगे भी आदिवासी सरना अलग धर्म कोड  के लिए भी लंबा संघर्ष करने के लिए  तैयार हैं, और इसमें झारखण्ड के  आदिवासी सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं।

 जनरेशन- टू- जनरेशन संघर्ष करने की प्रेरणा मिली है

tribal festival of jharkhand : मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की धरती से भगवान बिरसा मुंडा और सिदो कान्हू जैसे वीर शहीद पैदा हुए हैं। जिन्होंने अंग्रेजों और महाजनों के शोषण तथा जुल्म के विरुद्ध संघर्ष करते हुए अपने को बलिदान कर दिया। मेरे दादा जी और पिताजी  इस कड़ी में लंबा संघर्ष किए हैं। मैं यह कह सकता हूं कि शोषण और जुल्म के खिलाफ उनका संघर्ष मेरे लिए प्रेरणा का काम किया है और जनरेशन- टू- जनरेशन यह मुझे विरासत में मिली है।

जल जंगल और जमीन आदिवासियों की पहचान है

सीएम ने कहा, आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के अलग मंत्रालय और विभाग हैं। लेकिन आदिवासियों के नाम पर कॉन्ट्रोवर्सी पैदा हो रही है । कभी इसे वनवासी कहा जाता है तो कभी कुछ और। मेरा मानना है कि आदिवासी जल जंगल जमीन से जुड़े हैं, और यही उनकी पहचान भी है।

आदिवासियों को विकास से जोड़कर आगे बढ़ा रहे हैं

tribal festival of jharkhand : मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का सबसे ज्यादा खनिज झारखंड में मिलता है। देशभर के इंडस्ट्रीज झारखंड के खनिजों से चलते हैं, लेकिन फिर भी यह राज्य पिछड़ा और यहां के लोग गरीब हैं। जब हमारी सरकार बनी तो हमने इस पर गंभीरता से विचार किया तो पता चला कि यहां के आदिवासियों की पहचान को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है । यह कहीं ना कहीं आदिवासी के साथ साथ काफी विचित्र स्थिति थी। ऐसे में हमारी सरकार ने आदिवासियों को विकास से जोड़कर और उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। इस दिशा में हमने ऐसा कई ऐसा निर्णय लिए हैं, जो काफी सालों पहले लागू हो जाने चाहिए थे, लेकिन दुर्भाग्य से लागू नहीं हो सका।  

10 लाख रुपए के पलाश व आदिवा के उत्पादों की बिक्री हुई

tribal festival of jharkhand : दो दिवसीय आयोजन में ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत  झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेसएलपीएस) द्वारा पलाश एवं आदिवा ज्वेलरी के स्टॉल लगाकर सखी मंडल की महिलाओं के उत्पादों की प्रदर्शनी की गई। इसके साथ ही ‘आजीविका दीदी कैफे’ के जरिये महोत्सव में आए लोगो को पारंपरिक आदिवासी भोजन भी उपलब्ध कराये गए। पलाश ब्रांड के अंतर्गत 13 स्टॉल में राज्य के विभिन्न जिलों से आई सखी मंडल के महिलाओं द्वारा तैयार किए गए करीब 23 तरह के उत्पादों को बिक्री के लिए महोत्सव में रखा गया था। जिसमें शुद्ध सरसों तेल, अचार, मधु , मड़ुआ आटा, मसाले, लोबिया, लेमनग्रास एवं साबुन की काफी डिमांड थी। वहीं, पलाश के अचार भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र था। इस दो दिवसीय महोत्सव के दौरान करीब 10 लाख रुपये के पलाश उत्पादों की बिक्री हुई। ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत जेएसएलपीएस द्वारा लगाए गए  पलाश, आदिवा ज्वेलरी और आजीविका दीदी कैफ़े ने  करीब 10 लाख रुपए का  कारोबार किया !

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By JharExpress

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