Virendra Kumar Ram

ED ने ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के Virendra Kumar Ram से जुड़े 24 ठिकानों पर छापेमारी

Jharkhand

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) झारखंड की टीम ने ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम (Virendra Kumar Ram) से जुड़े 24 ठिकानों पर मंगलवार सुबह से छापेमारी कर रही है। छापेमारी राम के जमशेदपुर के दो ठिकानों (डिमना रोड, मानगो स्थित वाटिका ग्रीन सिटी व सीएच एरिया स्थित सरकारी आवास) के अलावा रांची, दिल्ली, सिवान व सिरसा (हरियाणा) सहित अन्य स्थानों पर चल रही है। राम स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना के अधीक्षण अभियंता के प्रभार में भी हैं, लेकिन अभी यहां ईडी की टीम नहीं पहुंची है।

यह मामला 16 नवंबर 2019 में जमशेदपुर में ग्रामीण कार्य विभाग के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा के घर से 2.44 करोड़ रुपये की बरामदगी से संबंधित है। तब सुरेश कुमार वर्मा को जमशेदपुर में डिमना चौक के पास एक ठेकेदार विकास कुमार शर्मा से 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद एसीबी ने सुरेश कुमार वर्मा के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 2.44 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे।

सुरेश कुमार वर्मा के घर से झारखंड एसीबी ने 64 हजार और उसके किरायेदार आलोक रंजन के घर से कुल 2 करोड़ 44 लाख 16 हजार रुपये यानि कुल 2 करोड़ 44 लाख 80 हजार रुपये समेत निवेश के कागजात, फ्लैट के कागजात और करीब 100 ग्राम आभूषण बरामद किया था।

गिरफ्तार कनीय अभियंता सुरेश कुमार वर्मा के ठिकाने से 2.44 करोड़ रुपये की बरामदगी मामले में पूछताछ की गई थी, तब वर्मा ने बताया था कि उक्त राशि उसके सीनियर वीरेंद्र कुमार राम की है। इस पूरे मामले में ईडी ने मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत जांच शुरू की थी।

ईडी को आशंका है कि पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार से उक्त कमाई की गई है। ईडी की छापेमारी में अब तक वीरेंद्र कुमार राम (Virendra Kumar Ram) के ठिकानों से अकूत संपत्ति की जानकारी मिली है। महंगी गाड़ियां व बंगले से संबंधित कागजात का पता चला है जिसकी छानबीन चल रही है। छापेमारी अभी जारी है।

अभियंता वीरेंद्र राम (Virendra Kumar Ram) के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी के साथ उनकी पत्नी राजकुमारी देवी भी चर्चा में आ गई हैं। समाजसेवा के नाम पर राजकुमारी देवी न केवल अखबारों में विज्ञापन देती थीं, बल्कि शहर के बड़े होटलों में पार्टियां भी देती थीं। उनका संपर्क भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से भी था। हालांकि, 2019 में एसीबी की छापेमारी के बाद राजकुमारी देवी की गतिविधियां लगभग बंद हो गई थी।

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