अहिंसा के प्रबल पैरोकार जैन समुदाय के पवित्र तीर्थस्थल पारसनाथ (parasnath hill) को धार्मिक स्थल घोषित करने की मांग के बीच पूरे प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। विश्व जैन संगठन ने पारसनाथ को आदिवासी पूजा स्थल बताते हुए इसे खाली कराने के लिए किसी भी हद तक जाने संबंधी भाजपा के पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के बयान को गंभीरता से लिया है।
आदिवासी अवस्थित प्राचीन जैन मंदिरों को ध्वस्त कर सकते हैं
आदिवासी सेंगेल अभियान के बैनर तले राजनीति कर रहे सालखन मुर्मू ने यहां तक कह दिया है कि अगर इसे खाली नहीं किया गया तो आदिवासी अवस्थित प्राचीन जैन मंदिरों को ध्वस्त कर सकते हैं। इसे विश्व जैन संगठन ने घोर आपत्तिजनक बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विश्व जैन संगठन ने राज्य सरकार से सालखन मुर्मू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्हें आपत्ति है कि मुर्मू ने जैन मंदिरों को ध्वस्त करने की धमकी दी है।
सालखन मुर्मू के खिलाफ देश भर में जैन समुदाय के लोग थानों में एफआइआर दर्ज कराएं
संगठन ने यह भी आह्वान किया है कि सालखन मुर्मू के खिलाफ देश भर में जैन समुदाय के लोग थानों में एफआइआर दर्ज कराएं। उधर सालखन मुर्मू ने विश्व जैन संगठन के आह्वान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पांच राज्यों में फैले अपने संगठन के कार्यकर्ताओं को फरमान जारी किया है कि वे भी विश्व जैन संगठन के नेताओं का पुतला दहन करें और विभिन्न थानों में उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराएं। परस्पर धमकी से इस मामले में तनातनी बढ़ने के आसार हैं।
वन एवं भूमि संरक्षण कानूनों का उल्लंघन हुआ है
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू का कहना है कि मेरे खिलाफ देश के विभिन्न थानों में एफआइआर दर्ज करने का फतवा जारी किया गया। इसका जवाब देना जरूरी है। पांच प्रदेशों में इनके खिलाफ एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम- 1989 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। आदिवासियों के मरांग बुरू (भगवान) जैनों के कब्जे में हैं। सीएनटी और एसपीटी एक्ट और वन एवं भूमि संरक्षण कानूनों का उल्लंघन हुआ है।
पारसनाथ पर पहला अधिकार आदिवासियों का
पारसनाथ (parasnath hill) पर पहला अधिकार आदिवासियों का है। अविलंब भारत सरकार, झारखंड सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बहुपक्षीय वार्तालाप शुरू करें। एक राष्ट्रीय आयोग का भी गठन कर इसका न्यायसंगत निर्णय अविलंब प्रस्तुत करें। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस आशय का पत्र प्रेषित कर दिया गया है। पारसनाथ पहाड़ अविलंब आदिवासियों को सुपुर्द किया जाए।
पारसनाथ पहाड़ को जैन समाज ने पर्यटन स्थल की बजाय धार्मिक स्थल की मान्यता देने की मांग की है
पारसनाथ पहाड़ (parasnath hill) को जैन समाज ने पर्यटन स्थल की बजाय धार्मिक स्थल की मान्यता देने की मांग की है। इससे संबंधित आंदोलन देश भर में हुए। राज्य सरकार ने भी इसकी पवित्रता बनाए रखने संबंधी निर्देश जारी किए। अभी तक इस क्षेत्र को तीर्थ धार्मिक स्थल नहीं घोषित किया गया है। इस बीच आदिवासी समुदाय के कुछ नेताओं ने दावेदारी की है कि पारसनाथ पर उनका हक है। यह आदिवासियों का जाहेर थान (पूजा स्थल) है। इस पर उनका हक बनता है।
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