Hemant Soren vs Central झारखंड के बकाया राशि पर सियासी टकराव
मैंने हाल ही में देखा कि झारखंड में “hemant soren vs central” का मुद्दा तेजी से गरमाया हुआ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्र सरकार के बीच झारखंड की बकाया राशि को लेकर तीखी तकरार चल रही है। झारखंड सरकार का दावा है कि केंद्र पर 1,36,000 करोड़ रुपये की कोयला रॉयल्टी बकाया है। वहीं, केंद्र सरकार इसे सिरे से खारिज कर रही है।
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “झारखंडियों के हक का पैसा बार-बार मांगा जा चुका है, लेकिन केंद्र सरकार इसे नकारने में तुली है।” उनके अनुसार, यह राज्य के अधिकारों को कुचलने का एक प्रयास है।
हेमंत सोरेन की केंद्र पर नाराजगी
“hemant soren vs central” विवाद में झारखंड के मुख्यमंत्री ने न केवल केंद्र सरकार को घेरा, बल्कि झारखंड बीजेपी पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने बीजेपी नेताओं से अपील की कि वे राज्य के लोगों के हक के लिए आवाज उठाएं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो माना जाएगा कि झारखंड बीजेपी भी इस “हकमारी” में शामिल है।
सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा:
- “झारखंडियों के हक का हर एक पैसा मांगा जा चुका है।”
- “केंद्र सरकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है।”
संसद में उठा बकाया राशि का मुद्दा
मैंने देखा कि इस विवाद ने संसद में भी हलचल मचा दी। बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में यह सवाल उठाया कि झारखंड को उसका बकाया पैसा क्यों नहीं मिल रहा। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि केंद्र सरकार के पास झारखंड की कोयला रॉयल्टी का कोई पैसा लंबित नहीं है।
केंद्रीय मंत्री के इस जवाब ने “hemant soren vs central” विवाद को और हवा दे दी। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और राज्य सरकार ने कोयला और रेलवे रॉयल्टी पर नई योजनाओं की बात कही।
झारखंड के बकाया राशि का विवाद: आंकड़ों पर नजर
यह विवाद पूरी तरह आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है। झारखंड सरकार का दावा है कि:
- राज्य पर कोयला रॉयल्टी की राशि लगभग 1,36,000 करोड़ रुपये है।
- केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि कोई पैसा बकाया नहीं है।
- झारखंड सरकार अब रेलवे माल ढुलाई पर भी रॉयल्टी लेने की योजना बना रही है।
Hemant Soren vs Central: झामुमो ने क्या कहा?
जब मैंने झामुमो के नेताओं के बयानों को देखा, तो साफ समझ आया कि वे इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य की जमीन से होने वाली हर गतिविधि पर रॉयल्टी ली जाएगी। इसके तहत:
- रेलवे की माल ढुलाई पर रॉयल्टी की योजना।
- निजी कंपनियों को बकाया जमा करने का निर्देश।
- राज्य सरकार ने कहा कि बकाया राशि के बिना कोई काम शुरू नहीं होगा।
Hemant Soren vs Central: विवाद का राज्य पर प्रभाव
झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य के लिए “hemant soren vs central” विवाद सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि राज्य के विकास का सवाल है।
आर्थिक नुकसान
- कोयला रॉयल्टी का पैसा झारखंड के बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों में इस्तेमाल होता।
- बकाया न मिलने से कई योजनाओं पर असर पड़ सकता है।
राजनीतिक असर
- झारखंड में आगामी चुनावों में यह मुद्दा बड़ा चुनावी एजेंडा बन सकता है।
- राज्य सरकार इसे झारखंड के अधिकारों की लड़ाई बता रही है।
Hemant Soren vs Central: मेरा निष्कर्ष
“hemant soren vs central” विवाद में मैंने देखा कि दोनों पक्ष अपने-अपने दावों पर अड़े हुए हैं। हेमंत सोरेन का दावा झारखंड के अधिकारों का है, तो केंद्र सरकार का कहना है कि कोई बकाया नहीं है।
“आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह मामला झारखंड के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।” मुझे लगता है कि इस विवाद का हल संवाद और समझदारी से निकाला जाना चाहिए।
FAQ: Hemant Soren vs Central
Q1: hemant soren vs central विवाद क्या है?
A1: यह विवाद झारखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच कोयला रॉयल्टी के 1,36,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेकर है।
Q2: हेमंत सोरेन ने केंद्र पर क्या आरोप लगाए हैं?
A2: हेमंत सोरेन का कहना है कि केंद्र सरकार झारखंड के हक के पैसे को नकार रही है।
Q3: केंद्र सरकार का क्या कहना है?
A3: केंद्र का कहना है कि झारखंड सरकार की कोयला रॉयल्टी का कोई पैसा बकाया नहीं है।
Q4: hemant soren vs central विवाद का झारखंड पर क्या असर है?
A4: इस विवाद से झारखंड के विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि राज्य को बड़ी आर्थिक राशि की आवश्यकता है।
Q5: झामुमो ने क्या कदम उठाए हैं?
A5: झामुमो ने रेलवे माल ढुलाई और निजी कंपनियों से रॉयल्टी वसूलने की योजना बनाई है।
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