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bal vivah: रांची झारखंड राज्य में, बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा की चुनौतियों के बावजूद, बाल विवाह की समस्या भी बढ़ती जा रही है। नवनिर्वाचित सरकार ने इस पर ध्यान देते हुए कई योजनाएं और नियम बनाए हैं, लेकिन आंकड़ों का खुलासा करता है कि राज्य में 18 साल से पहले ही 32.2% बेटियों की शादी कर दी जा रही है।

बेटियों की शिक्षा में कमी और बाल विवाह का कारण

एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 20 से 24 वर्षीय युवतियों में इस आंकड़े में 37.9% की कमी हो गई है, लेकिन यह आंकड़ा अभी भी चिंता का कारण है। शहरी क्षेत्र में इस समस्या की गंभीरता बनी रह रही है, जहां मात्र 781 बेटियां 1000 बेटों की तुलना में जन्म ले रही हैं।

bal vivah: झारखंड में बच्चों की कमी

वर्ष 2020-21 में 1000 बच्चों की तुलना में सिर्फ 899 बच्चे ही जन्म ले रहे हैं, जो गंभीर चिंता का कारण है। इस समस्या का मुख्य कारण रोजगार की कमी और गरीबी है, जिसके चलते बच्चे बाल विवाह की ओर बढ़ते जा रहे हैं।

बाल विवाह के पीछे की जरूरतें और समाजिक दबाव

bal vivah: झारखंड राज्य में बाल विवाह के पीछे कई कारण हैं। समाज में ऐसे दृष्टिकोण और परंपराएं हैं जो बच्चों की शिक्षा को ध्यान में नहीं रखतीं और उन्हें बचपन से ही विवाह के बंधन में डाल देतीं हैं। गरीबी और अशिक्षा की समस्या इस समस्या को और भी गहरा बना देती है।

बेटियों को बचाने के लिए कदम

bal vivah: झारखंड में बेटियों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं और नियम बनाए गए हैं, लेकिन इनका सही से पालन नहीं हो रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए समाज में शिक्षा की महत्वपूर्णता को बढ़ावा देना और गरीबों को रोजगार के लिए सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक है।

bal vivah: ट्रैफिकिंग के कारण पलायन

झारखंड में ट्रैफिकिंग की समस्या भी एक बड़ी चुनौती है, जो गरीबी और बच्चों की असुरक्षा का कारण बन रही है। आंटी ट्रैफिकिंग नेटवर्क की स्थापना और सरकारी योजनाएं इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठा रहीं हैं, लेकिन इस पर और भी ध्यान देना आवश्यक है।

निष्कर्ष

bal vivah: झारखंड में बाल विवाह की समस्या गंभीर है और इसे समाधान करने के लिए समाज, सरकार, और सामाजिक संगठनों को मिलकर कदम उठाना होगा। बेटियों को शिक्षित बनाने, रोजगार के अवसर प्रदान करने, और सामाजिक दबावों का मुकाबला करने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा ताकि हम एक समृद्ध और समरस समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

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