drishyam 2 review : 2015 में अजय देवगन और तब्बू की एक फिल्म रिलीज हुई थी- दृश्यम। सस्पेंस और थ्रिलर से भरी इस फिल्म में अजय देवगन का किरदार विजय सालगांवकर ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है, लेकिन उसे फिल्मों का बहुत शौक है। अपने इसी शौक का इस्तेमाल कर कैसे वो अपने फैमली को एक पुलिस केस से बचाते हैं, यही इस फिल्म की कहानी थी। दर्शकों ने इसे बहुत ही ज्यादा पसंद किया था। सात साल बाद दृश्यम 2 (Drishyam2) रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी भी सात साल आगे बढ़ चुकी है और एक बार फिर से ये पुलिस केस खुल चुका है। फिल्म ने पहले ही दिन दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया और शानदार क्लाइमेक्स आपको कुर्सी से उछलने पर मजबूर कर देगा।
कहानी का परिचय
drishyam 2 review : फिल्म ‘दृश्यम 2’ की कहानी वहां से शुरू होती है जहां एक पुलिस अधिकारी की बेटे की हत्या हो जाने का तो खुलासा हो चुका है लेकिन उसकी लाश नहीं मिलती है। पिता अपने बेटे की आत्मा की मुक्ति के लिए उसके शव का अंतिम संस्कार करना चाहता है। लेकिन, उसे तो विजय सालगांवकर ने ऐसी जगह गाड़ दिया था जहां से चाहकर भी उसे निकाला नहीं जा सकता। लेकिन, मां भी लौट आई है। उसे चौथी क्लास तक पढ़े विजय से ही नहीं पूरे परिवार से बदला लेना है। उसके साथ पढ़ा दूसरा आईपीएस अफसर उसकी कुर्सी पर है। ये अफसर मीरा से भी ज्यादा तेज दिमाग दिखता है। लेकिन, मामला यहां फिल्मी है। जी हां, विजय सालगांवकर का हर पैंतरा किसी न किसी फिल्म की कहानी से निकलता है और इस बार फिल्मी पुलिस पर फिल्मी पैंतरा भारी पड़ता है।
फिल्म निर्देशन
drishyam 2 review : तकनीकी रूप से भी फिल्म ‘दृश्यम 2’ हाल फिलहाल की हिंदी फिल्मों से बेहतर फिल्म बानी है। एक अच्छी टीम चुनने का फायदा निर्देशक अभिषेक पाठक को उनकी पहली हिट फिल्म के रूप में मिलता दिख रहा है। सुधीर चौधरी ने गोवा को बिल्कुल अलग नजरिये से कैमरे से देखा है। क्लाइमेक्स के कुछ दृश्यों में दिखी गोवा की खूबसूरती बेमिसाल है। संदीप फ्रांसिस ने मूल फिल्म से इसकी हिंदी रीमेक की अवधि 13 मिनट कम रखने का कमाल किया है।
अभिनय, संगीत, एक्शन
drishyam 2 review : जब आप मूल से मोहनलाल के जादू को फिर से बनाने वाले अभिनेताओं के बारे में सोचते हैं, तो ऐसा करने के लिए अजय देवगन के अलावा कोई दूसरा सही विकल्प नहीं है। आंखों के माध्यम से अभिनय करने की बहुचर्चित क्षमता ही दोनों सितारों को अलग से अधिक समान बनाती है।
तब्बू जितनी ट्रेलर में थीं, उतनी ही कुछ चरित्र निर्णयों ने प्रीक्वल की तुलना में दर्शकों से उन्हें दूर कर दिया। इशिता दत्ता की अंजू अंसिबा की अंजू के चरित्र के चारों ओर पीटीएसडी की खोज के प्रभाव को कभी नहीं छूती है। मृणाल जाधव भी कहानी में कुछ खास नहीं जोड़ती हैं। सौरभ शुक्ला और रजत कपूर अपनी भूमिकाओं में सभ्य हैं।
फिल्म ‘दृश्यम 2’ संगीतकार देवी श्री प्रसाद (डीएसपी) की पहली ऐसी हिंदी फिल्म है जिसके सारे गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक उन्होंने दिया है। जुबिन नौटियाल का गाया ‘साथ हम रहें’ पहले ही हिट हो चुका है लेकिन फिल्म ‘दृश्यम 2’ का असल गाना वह रैप सॉन्ग है जो एंड क्रेडिट्स में बजता है। फिल्म ऐसी है जिसका असली आनंद परिवार के साथ भी लिया जा सकता है।
फिल्म का अंतिम फैसला
दृश्यम 2 (Drishyam2) की कहानी भी सात साल आगे बढ़ चुकी है और एक बार फिर से ये पुलिस केस खुल चुका है। फिल्म ने पहले ही दिन दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया और शानदार क्लाइमेक्स आपको कुर्सी से उछलने पर मजबूर कर देगा।
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