sc st reservation
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sc st reservation: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ देशभर में गुस्सा फैल गया है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने इस फैसले के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया है, जिसका असर झारखंड की राजधानी रांची में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। विभिन्न आदिवासी और मूलवासी संगठन इस भारत बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर उतरे हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

sc st reservation: आदिवासी मूलवासी संगठनों का जोरदार प्रदर्शन

रांची के मेन रोड स्थित अल्बर्ट एक्का चौक पर आदिवासी मूलवासी संगठन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपने गुस्से और असंतोष का इजहार कर रहे हैं। आदिवासी मूलवासी संगठनों के नेता और एससी-एसटी समन्वय समिति के अध्यक्ष उपेंद्र रजक ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का निर्णय SC-ST के लोगों को बांटने की कोशिश है। यह फैसला उन लोगों के खिलाफ है जो देश की 85% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।”

आरक्षण के मुद्दे पर आदिवासी संगठनों की कड़ी प्रतिक्रिया

sc st reservation: प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संघर्ष और उनके द्वारा प्रदान किए गए आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर के संघर्ष के कारण ही आज आदिवासी और मूलवासी समुदाय के लोग पढ़-लिख कर अपने भविष्य को संवार रहे हैं। लेकिन मनुवादी विचारधारा वाले लोग आरक्षण को समाप्त करने की साजिश रच रहे हैं। उनका मानना है कि आरक्षण खत्म कर, एक विशेष वर्ग के लोग सत्ता पर कब्जा जमाना चाहते हैं और SC-ST समुदाय को फिर से गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

निजीकरण और बेरोजगारी का मुद्दा

sc st reservation: प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले से SC-ST समुदाय के युवाओं को निजीकरण की चपेट में धकेला जा रहा है। सरकारी नौकरियों का तेजी से निजीकरण हो रहा है, जिससे SC-ST समुदाय के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर लगातार घट रहे हैं। युवा अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और सड़कों पर भटक रहे हैं।

sc st reservation: समर्थन और विरोध की लहर

भारत बंद का समर्थन देशभर के विभिन्न संगठनों द्वारा किया जा रहा है। रांची में हुए इस प्रदर्शन में आदिवासी मूलवासी संगठनों का सहयोग और समर्थन साफ दिखाई दिया। प्रदर्शनकारियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल आरक्षण की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की भी है।

sc st reservation: आगे की रणनीति

sc st reservation: आदिवासी मूलवासी संगठनों ने साफ किया कि अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो वे अपने संघर्ष को और भी तीव्र करेंगे। उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से अपील की है कि वे SC-ST समुदाय के हितों का सम्मान करें और उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की असमानता और अन्याय को रोकें।

समाज में बदलाव की मांग

प्रदर्शन के दौरान आदिवासी मूलवासी संगठनों ने समाज में व्यापक बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि यदि देश को वाकई में समृद्ध और मजबूत बनाना है, तो सभी समुदायों को समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए। SC-ST समुदाय के लोग भी इस देश के नागरिक हैं और उन्हें भी उनके अधिकारों का पूरा सम्मान मिलना चाहिए।

sc st reservation: निष्कर्ष

sc st reservation: SC-ST आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आदिवासी मूलवासी संगठनों का विरोध प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण घटना है। यह प्रदर्शन केवल एक फैसले के खिलाफ नहीं, बल्कि उस असमानता और अन्याय के खिलाफ है, जो सदियों से SC-ST समुदाय के लोगों को झेलना पड़ा है। भारत बंद के माध्यम से इन संगठनों ने अपने गुस्से और असंतोष को प्रकट किया है और यह संदेश दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे।

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By JharExpress

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2 thoughts on “sc st reservation आरक्षण के फैसले के विरोध में आदिवासी”

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