झारखंड राज्य कृषि उपज व पशुधन विपणन विधेयक 2022 का विरोध बढ़ता जा रहा है। राजधानी रांची समेत राज्य भर में खाद्यान्न से जुड़े थोक बाजार, मंडी और राइस मिल को आज से अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के आह्वान पर राज्य की सभी 28 थोक मंडियों पर बुधवार से ताला लग गया।
दरअसल, इस विधेयक के विरोध में झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने 8 फरवरी से ही चरणबद्ध आंदोलन चला रखा था। राज्य सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की थी। लेकिन, चेंबर की मांगों का असर सरकार पर नहीं हुआ। झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने बताया कि जब तक सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती है तब तक अनिश्चितकालीन बंद जारी रहेगा। राज्य की सभी थोक मंडी, फल मंडी, राइस मिल समेत खाद्यान्न से जुड़े सभी थोक बाजार बंद रहेंगे।
बता दें कि 15 फरवरी की सुबह से ही झारखंड चेंबर से जुड़े सदस्यों ने राजधानी की थोक मंडियों का मुआयना करना शुरू किया और कारोबारियों से अपने थोक प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की। सबसे पहले चेंबर के सदस्यों ने अपर बाजार पहुंचकर कारोबारियों से दुकानों को बंद करने की अपील की। हालांकि, कई कारोबारियों ने अपनी दुकानें को खुद बंद रखी थी। लेकिन, चेंबर के ऐलान के बावजूद जो दुकान खुले थे, उन्हें बंद करा दिया गया। इस दौरान अपर बाजार की गलियों में सरकार के खिलाफ कारोबारियों ने नारेबाजी भी की और काले झंडे दिखाकर सरकार से विधेयक को वापस लेने की मांग उठायी।
इस क्रम में राज्य की सबसे बड़ी मंडी रांची के पंडरा बाजार समिति के 800 से ज्यादा दुकानों पर भी ताला लटक गया। झारखंड चेंबर से जुड़े कारोबारियों के आह्वान पर पंडरा बाजार के कारोबारियों ने खुद अपनी दुकानों को सुबह से ही अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया। चैंबर से जुड़े तमाम कारोबारी आज पंडरा बाजार पहुंचे और बंद दुकानों का मुआयना किया। कारोबार बंद होने से आज पंडरा बाजार में आवक और जावक पूरी तरह ठप रहा।
जाहिर है थोक मंडी बंद होने के बाद खुदरा व्यापारियों की परेशानी बढ़ेगी और गली मोहल्लों में मौजूद राशन दुकानों में भी ताला लटकते देर नहीं लगेगी। राजधानी रांची की थोक मंडी बंद होने की वजह से वहां काम करने वाले मोटिया मजदूरों की परेशानी बढ़ गई है। हर दिन करीब 300 से ₹400 कमाने वाले इन मोटिया मजदूरों की मजदूरी भी आज से अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गई।
पंडरा बाजार समिति में 800 से ज्यादा दुकानों में एक हजार से मजदूर काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर मजदूर अपने परिवार को अपने साथ नहीं रखते… बल्कि हर दिन थोड़ी बहुत बचत करके पैसे अपने घर भेज देते हैं। ऐसे में इस अनिश्चितकालीन बंद का एक बड़ा असर इन मोटिया मजदूरों पर भी देखा जा रहा है।
इसे भी पढ़ें : पलामू के पनकी गांव में दो गुटों के बीच झड़प में 12 लोग घायल, धारा 144 लागू