Normalization in BPSC Kya Hai: सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स
पटना, बिहार — हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं सिविल सेवा परीक्षा में Normalization in BPSC Kya Hai को लेकर एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस विवाद में सड़कों पर उतरे सैकड़ों छात्र, जिनका नेतृत्व छात्र नेता दिलीप कुमार कर रहे थे, बीपीएससी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इन अभ्यर्थियों का मुख्य आरोप था कि Normalization in BPSC Kya Hai प्रक्रिया को लागू करने से उनके लिए परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठेगा। इसके विरोध में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई छात्रों को चोटें आईं।
Normalization in BPSC Kya Hai? क्या है नॉर्मलाइजेशन?
Normalization in BPSC Kya Hai की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि जब परीक्षा का आयोजन बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के लिए होता है, तो वह एक ही दिन में नहीं, बल्कि कई दिनों तक अलग-अलग पालियों में होती है। इस दौरान हर पाली में अलग-अलग प्रश्न पत्र होते हैं।
डॉ. अखिलेश कुमार, जो पटना साइंस कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और पूर्व डीएसपी हैं, बताते हैं कि Normalization in BPSC Kya Hai का उद्देश्य यह है कि विभिन्न सेटों में दिए गए प्रश्नों का उत्तर देने के लिए छात्रों को समान रूप से अंक मिलें। उदाहरण के तौर पर, अगर एक पाली में प्रश्नपत्र कठिन है और दूसरी पाली में आसान है, तो दोनों के परिणामों को समान स्तर पर लाने के लिए नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।
Normalization in BPSC Kya Hai में जब किसी पाली के पेपर में अभ्यर्थियों के नंबर कम आते हैं, तो उस पेपर को “टफ पेपर” माना जाता है, और जब अंक अधिक होते हैं तो उसे “आसान पेपर” माना जाता है। फिर, कुल परिणाम को इन बदलावों के आधार पर निष्पक्ष बनाने के लिए नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।
क्यों हो रहा है विवाद?
इस प्रक्रिया को लेकर बीपीएससी के छात्र विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि Normalization in BPSC Kya Hai के कारण वे लोग जो कठिन पेपर देंगे, उनका चयन कम होगा, जबकि आसान पेपर देने वाले अभ्यर्थियों के अधिक अंक आने की संभावना है। इससे प्रतियोगिता में समानता नहीं रहेगी और कुछ उम्मीदवारों के लिए यह अन्यायपूर्ण साबित होगा।
दिल्ली कुमार जो इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, ने कहा कि Normalization in BPSC Kya Hai का सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि अलग-अलग प्रश्न पत्रों का उपयोग करके आयोग द्वारा धांधली की जा सकती है। उनका कहना था, “अगर नॉर्मलाइजेशन लागू होगा, तो पेपर सेट के आधार पर अलग-अलग छात्रों के नंबर में अंतर हो सकता है, जिससे चयन प्रक्रिया में असमानता उत्पन्न होगी।”
विरोध का कारण क्या है?
बीपीएससी के उम्मीदवारों का मुख्य तर्क यह है कि यदि आयोग नॉर्मलाइजेशन लागू करता है तो यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और स्पष्ट नहीं होगी। डॉ. अखिलेश कुमार ने कहा, “नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला छात्रों को पहले से ही बताया जाना चाहिए, ताकि कोई भी भ्रांति या विवाद न हो।”
अगर आयोग नॉर्मलाइजेशन लागू करता है, तो उसे उस फॉर्मूले को स्पष्ट रूप से सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि हर छात्र को यह समझने का मौका मिले कि उनके अंक कैसे निर्धारित होंगे। इसके अलावा, आयोग को छात्रों से उनके विचार भी मांगने चाहिए और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए।
किसे हो सकता है नुकसान?
नॉर्मलाइजेशन के लागू होने से जिन छात्रों को कठिन पेपर मिलेगा, उन्हें अपेक्षाकृत कम अंक मिल सकते हैं। वहीं, जिन छात्रों को आसान पेपर मिलेगा, उन्हें अधिक अंक मिल सकते हैं। इससे Normalization in BPSC Kya Hai के तहत चयन प्रक्रिया में भेदभाव हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय:
- Normalization in BPSC Kya Hai का उद्देश्य छात्रों को समान अवसर देना है, लेकिन यदि इस प्रक्रिया का फॉर्मूला गलत हो तो यह एक विवाद का कारण बन सकता है।
- यह पहले भी कई बड़ी परीक्षाओं में लागू किया गया है जैसे JEE और NEET, लेकिन उन परीक्षाओं में विवाद नहीं हुआ क्योंकि वहां इसका फॉर्मूला स्पष्ट और पारदर्शी था।
- अगर आयोग अपनी प्रक्रिया को सही से स्पष्ट करता है, तो Normalization in BPSC Kya Hai की समस्या का समाधान हो सकता है।
BPSC के विरोध प्रदर्शन में क्या हुआ?
बीपीएससी के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे और उनकी मुख्य मांग यह थी कि आयोग को लिखित रूप से यह स्पष्ट करना चाहिए कि नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं होगा। इसके अलावा, प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ कोई भी निर्णय बिना छात्रों के विचारों को सुने नहीं लिया जा सकता। इस बीच, पुलिस ने इन छात्रों पर लाठीचार्ज किया और कई छात्र घायल हो गए।
छात्रों का समर्थन
पटना के चर्चित शिक्षक खान सर और अन्य कई शिक्षकों ने इस प्रदर्शन का समर्थन किया। इस विरोध प्रदर्शन में कई छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए। उनका कहना है कि यह विरोध केवल नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ नहीं, बल्कि छात्रों के अधिकारों के लिए भी है।
क्या है नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला?
Normalization in BPSC Kya Hai का फॉर्मूला आयोग को स्पष्ट करना चाहिए। डॉ. अखिलेश कुमार ने कहा, “अगर आयोग इस प्रक्रिया को सही से लागू करता है तो कोई विवाद नहीं होगा। लेकिन बिना किसी स्पष्टता के अगर यह लागू होता है तो यह छात्रों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।”
FAQs
Q1: नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य क्या है?
नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य यह है कि अलग-अलग सेटों में दिए गए प्रश्नों के अंक समान स्तर पर हों, ताकि विभिन्न पालियों में परीक्षा देने वाले छात्रों को समान अवसर मिले।
Q2: क्या नॉर्मलाइजेशन से छात्रों को कोई नुकसान हो सकता है?
अगर नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला सही नहीं है, तो छात्रों को असमान अंक मिल सकते हैं, जिससे कुछ छात्रों को नुकसान हो सकता है।
Q3: क्या बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा की है?
अब तक बीपीएससी ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट लिखित घोषणा नहीं की है, जिससे छात्रों के बीच भ्रम बना हुआ है।
Q4: नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्रों का विरोध क्यों हो रहा है?
छात्रों का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन से कुछ छात्रों को फायदा होगा, जबकि अन्य छात्रों को नुकसान होगा, जो कि एक असमान चयन प्रक्रिया को जन्म देगा।
निष्कर्ष
Normalization in BPSC Kya Hai एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन इसका सही तरीके से लागू होना और पारदर्शिता बहुत जरूरी है। यदि आयोग इसे सही से लागू करता है, तो यह छात्रों के लिए मददगार साबित हो सकता है, लेकिन अगर इसके फॉर्मूले में कोई समस्या आई, तो विवाद होना निश्चित है। इसलिए आयोग को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और इसे पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि छात्रों में विश्वास बना रहे।
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