अल्पसंख्यक, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की आवाज उठाएंगे Pappu Yadav: सदन और सड़क पर होगा संघर्ष
बिहार के पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ Pappu Yadav ने अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प दोहराया। मुस्लिम समुदाय के दानिश्वरों से मुलाकात के दौरान Pappu Yadav ने कहा कि संविधान सभी वर्गों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करता है, लेकिन वर्तमान सरकार इन अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी वादा किया कि वे सदन और सड़क दोनों जगह इन मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे।
Pappu Yadav से मुलाकात में मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर चर्चा
झारखंड के रांची में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने Pappu Yadav से मुलाकात की। इस मुलाकात में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के उल्लंघन, वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का उल्लंघन
आमया संगठन के अध्यक्ष एस अली ने बताया कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदला नहीं जा सकता। यदि इस कानून का उल्लंघन होता है, तो इसके लिए जुर्माना और तीन साल की सजा का प्रावधान है।
इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर कानून का उल्लंघन हो रहा है। Pappu Yadav से अनुरोध किया गया कि वे इस मुद्दे को लोकसभा के पटल पर स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से उठाएं।
वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन की कोशिश
वक्फ अधिनियम 1995 को संशोधित करने के प्रयासों का भी जोरदार विरोध हो रहा है। लाखों लोगों ने पिटिशन के माध्यम से वक्फ संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की है। Pappu Yadav से अपील की गई कि वे लोकसभा में इस बिल के खिलाफ आवाज उठाएं ताकि अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित रहें।
झारखंड में मुस्लिम समुदाय के लंबित मुद्दे: Pappu Yadav से पहल की उम्मीद
झारखंड में मुस्लिम समुदाय के कई महत्वपूर्ण मुद्दे अब तक लंबित हैं। एस अली ने इन मुद्दों को हल करने के लिए Pappu Yadav से पहल करने की अपील की।
लंबित मुद्दे:
- 10 जून 2022 रांची गोलीकांड: इस घटना के न्याय के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- माॅब लिंचिंग कानून: झारखंड में माॅब लिंचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन कानून को लागू करने में ढिलाई हो रही है।
- 3712 उर्दू सहाय शिक्षकों की बहाली: यह बहाली लंबे समय से लंबित है।
- 544 उर्दू स्कूलों से जुमा की छुट्टी खत्म करना: इस निर्णय को वापस लेने की मांग की गई है।
- मदरसा आलिम और फाजिल डिग्री की मान्यता: इन डिग्रियों को मान्यता देने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है।
- अल्पसंख्यक बजट में बढ़ोतरी: झारखंड सरकार को अल्पसंख्यक बजट में वृद्धि करने की दिशा में काम करना चाहिए।
Pappu Yadav का बयान: संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतरेंगे
मुलाकात के दौरान Pappu Yadav ने कहा कि संविधान सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है, लेकिन वर्तमान सरकार इन अधिकारों को कमजोर कर रही है। उन्होंने वादा किया कि वे सदन और सड़क दोनों जगह इन मुद्दों पर आवाज उठाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के अधिकार और न्याय सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है।
मुस्लिम नेताओं और सामाजिक संगठनों की भागीदारी
इस बैठक में झारखंड के कई सामाजिक संगठनों और मुस्लिम समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया।
शामिल होने वाले प्रमुख लोग:
- अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष मुख्तार अहमद।
- समाजसेवी सैयद इक़बाल इमाम।
- इंजीनियर नसीम अली।
- मौलाना जियाउल होदा।
- समाजसेवी अर्श आलम पप्पू।
- तनवीर आलम।
- इर्शाद अहमद।
- मतीन मास्टर।
Pappu Yadav का समर्थन: अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा
Pappu Yadav ने कहा कि वे सभी सामाजिक और धार्मिक संगठनों का समर्थन करते हैं जो संविधान और कानून की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए वह हरसंभव कदम उठाएंगे।
तथ्य और आंकड़े
- झारखंड में मुस्लिम आबादी लगभग 14.5% है (2011 जनगणना)।
- झारखंड में 500 से अधिक मदरसे और 544 उर्दू स्कूल हैं।
- पिछले 5 वर्षों में माॅब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है।
निष्कर्ष
Pappu Yadav ने इस बैठक के माध्यम से अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे संविधान की रक्षा के लिए सदन और सड़क दोनों जगह संघर्ष करेंगे।
झारखंड और देशभर के अल्पसंख्यक समुदाय को उम्मीद है कि Pappu Yadav जैसे नेता उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे और सरकार को जिम्मेदारी से काम करने के लिए बाध्य करेंगे।
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