sahayak acharya: झारखंड में सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन 70 दिनों तक चला और आखिरकार यह शुक्रवार की रात समाप्त हो गया। रांची के मोरहाबादी मैदान में बैठे करीब 2300 सहायक पुलिसकर्मी, जो 2 जुलाई से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे, ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। सरकार ने उनकी कई प्रमुख मांगों पर सहमति जताई है और इसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है।
अब सहायक पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला वेतन 13,000 रुपये कर दिया गया है। साथ ही, वर्दी भत्ते के रूप में 4,000 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। इसके अलावा, सहायक पुलिसकर्मियों को छुट्टी लेने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी, जो पहले उन्हें नहीं मिलती थी। सरकार के इस फैसले से पुलिसकर्मियों में राहत की भावना है, और उन्होंने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया है।
आंदोलन की मुख्य वजह: झारखंड पुलिस में समायोजन की मांग
झारखंड के 12 जिलों में सहायक पुलिसकर्मियों की बहाली की गई थी। इनमें गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका और गिरिडीह शामिल हैं। इन पुलिसकर्मियों की बहाली 10,000 रुपये के मानदेय पर की गई थी, जो अब बढ़ाकर 13,000 रुपये कर दी गई है। सहायक पुलिसकर्मियों की मुख्य मांग थी कि उन्हें झारखंड पुलिस में समायोजित किया जाए, ताकि वे स्थायी रूप से अपनी सेवाएं दे सकें और स्थायी कर्मचारी के रूप में सुविधाएं प्राप्त कर सकें।
19 जुलाई को, जब सहायक पुलिसकर्मियों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की कोशिश की, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इस दौरान पुलिस ने उनके खिलाफ लाठीचार्ज भी किया था, जिससे आंदोलन और भी तीव्र हो गया था। पुलिसकर्मियों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
sahayak acharya: सहायक पुलिसकर्मियों की प्रमुख मांगें और सरकार की सहमति
sahayak acharya: झारखंड सरकार और सहायक पुलिसकर्मियों के बीच 70 दिनों के बाद आंदोलन को समाप्त करने के लिए पांच मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनी है। ये बिंदु पुलिसकर्मियों की मांगों और उनकी रोजमर्रा की जीवनशैली को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
1. मानदेय में 30% की वृद्धि
पहले सहायक पुलिसकर्मियों को 10,000 रुपये प्रति माह का मानदेय मिलता था, लेकिन अब इसमें 30% की बढ़ोतरी की गई है। इसका मतलब है कि अब सहायक पुलिसकर्मियों को 13,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, जो उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेगा।
2. एक साल का अवधि विस्तार
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा अवधि को एक साल और बढ़ाया जाएगा। इससे पुलिसकर्मियों को अपनी सेवाओं को जारी रखने का मौका मिलेगा और सरकार को उनके योगदान का और अधिक लाभ मिल सकेगा।
3. होमगार्ड और वन आरक्षी की बहाली पर आरक्षण
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि होमगार्ड और वन आरक्षी की बहाली में भी सहायक पुलिसकर्मियों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह फैसला पुलिसकर्मियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, क्योंकि अब उनके पास अधिक विकल्प होंगे।
4. सिपाही की तर्ज पर छुट्टी
सहायक पुलिसकर्मियों को अब सिपाही की तरह छुट्टी लेने की सुविधा भी मिलेगी। पहले उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती थी, जिससे उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में कठिनाई होती थी। अब वे सिपाही के समान छुट्टी का लाभ उठा सकेंगे।
5. सालाना 4,000 रुपये वर्दी भत्ता
इसके अलावा, सहायक पुलिसकर्मियों को हर साल 4,000 रुपये वर्दी भत्ता भी मिलेगा। यह सुविधा पहले नहीं थी, लेकिन अब सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है। इस भत्ते से पुलिसकर्मी अपनी वर्दी और अन्य आवश्यक उपकरणों का खर्च उठा सकेंगे।
sahayak acharya: झारखंड पुलिस के लाठीचार्ज ने बढ़ाया आंदोलन का ताप
सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन के दौरान 19 जुलाई को जब पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर रहे थे, तब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। झारखंड पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिससे आंदोलन और भी गंभीर हो गया। आंदोलनकारियों का आरोप था कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ जबरन बल का प्रयोग किया।
लाठीचार्ज के बाद स्थिति और बिगड़ गई और पुलिसकर्मियों की नाराजगी बढ़ गई। इसके बाद कई दिनों तक बातचीत की कोशिशें जारी रहीं, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अंततः सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से लिया और कैबिनेट ने उनके वेतन और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी का फैसला किया।
sahayak acharya: आंदोलन के समाप्ति के बाद आगे का रास्ता
sahayak acharya: अब जब सरकार ने सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों को मान लिया है और आंदोलन समाप्त हो गया है, पुलिसकर्मियों के लिए आगे का रास्ता साफ है। उन्हें अब बेहतर वेतन, वर्दी भत्ता, छुट्टी और सेवा विस्तार का लाभ मिलेगा। साथ ही, यह भी उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में उनकी स्थायी बहाली के लिए भी सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी।
इस आंदोलन ने सरकार और पुलिस प्रशासन के बीच संवाद की जरूरत को भी उजागर किया है। भविष्य में ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत और समझौता जरूरी होगा, ताकि पुलिसकर्मियों के हितों की रक्षा की जा सके और राज्य की कानून व्यवस्था भी प्रभावित न हो।
निष्कर्ष: सहायक पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी राहत
sahayak acharya: झारखंड के सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन की समाप्ति से उनकी जिंदगी में बड़ी राहत आई है। अब वे नए वेतनमान और सुविधाओं के साथ अपनी सेवाओं को जारी रख सकेंगे। सरकार द्वारा उनके आंदोलन की मांगों को मानने से राज्य में शांति बहाल हुई है और पुलिसकर्मियों का मनोबल भी बढ़ा है।
सहायक पुलिसकर्मियों की यह जीत उनके संघर्ष की ताकत को दर्शाती है, और यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में उनकी स्थायी बहाली पर भी विचार किया जाएगा।
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