sarna dharam code : हेमंत सोरेन की सरकार तमाम अड़चनों के बाद भी बेहतर काम कर रही है। इस सरकार ने जनता के हित में कई काम किए। कई बेहतरीन निर्णय भी लिए हैं। कुछ निर्णय अगर धरातल पर उतर जाते तो इस राज्य के लिए ऐतिहासिक साबित होता, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की पेंच ने जनभावना को भी ध्यान में नहीं रखा। स्थानीय नीति, आरक्षण, नियोजन आदि को लेकर बनायी गयी नीतियों पर भाजपा का जो रवैया रहा, वह ठीक नहीं है।
राज्य समन्वय समिति की पहली बैठक शिबू सोरेन के मोरहाबादी स्थित आवास पर हुई। समन्वय समिति ने कहा कि हेमंत सरकार इस दिशा में लिए गए अपने निर्णयों पर जनभावना के अनुरूप है।बैठक के बाद समन्वय समिति के सदस्य विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि हेमंत सरकार प्रदेश की जनभावना के अनुरूप कार्य कर रही है, लेकिन भाजपा कभी-कभी किसी का सहारा ले लेती है ।समिति ने राज्य सरकार को जनहित में लिए गए निर्णयों को अविलंब दृढ़ता से लागू करने की सलाह दी है।
sarna dharam code : समन्वय समिति की बैठक में यह तय किया गया कि राष्ट्रपति से मिलेगा उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल। समिति के सदस्य विनोद पांडेय ने कहा कि राज्य के आदिवासियों की भावना को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने सरना धर्म कोर्ड को विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। पर आज तक इसका कोई जवाब केंद्र सरकार की ओर से नहीं आया है। केंद्र सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करे इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित होगी। यह कमेटी राष्ट्रपति से मिलकर सरना धर्म कोड को लागू करने का अनुरोध करेगी।
sarna dharam code : सरना धर्मकोड की मांग का मतलब यह है कि भारत में होने वाली जनगणना के दौरान प्रत्येक व्यक्ति के लिए जो फॉर्म भरा जाता है, उसमें दूसरे सभी धर्मों की तरह आदिवासियों के धर्म का जिक्र करने के लिए अलग से एक कॉलम बनाया जाए। जिस तरह हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चयन, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग अपने धर्म का उल्लेख जनगणना के फॉर्म में करते हैं, उसी तरह आदिवासी भी अपने सरना धर्म का उल्लेख कर सकें।
झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को ही विशेष सत्र में आदिवासियों के सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन इसपर अब तक निर्णय नहीं हुआ है। खास बात यह कि जनगणना में सरना आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड दर्ज करने का यह इस प्रस्ताव झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की संयुक्त साझेदारी वाली सरकार ने लाया था।
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